तर्ज तेरे मेरे बिच कैसा हैं बंधन अजाना
माया और लोभ के बिच फंसा हैं मन मेरा
पल का हैं डेरा,कुछ नही तेरा
मन के मते जो चाले,दुःख वो पावे,
मन की गति को कोई समझ ना पावे,
मन चंचल हैं मन चिकोरा
प्रभु को पुकारो मन से,वो दोड़ा चला आवे,
भक्तो की खातिर वो तो, नगे पाँव आवे,
भक्ति में बल हैं घनेरा, पल का हैं डेरा
माया का चक्कर ऐसा मन फास्ता ही जावे
विषयों में मानव तन,रमा चला जावे,
विषयों में पाप का बसेरा, पल का हैं डेरा,
मन के खजाने में माया ही तो माया.
समझे पुष्प तो सब कुछ पाया
मन में बसा प्रभु तेरा पल का हैं डे
तर्ज तेरे मेरे बिच कैसा हैं बंधन अजाना (Tarj Tere Mere Bich Kaisa Hai Bandhan Anjana)
October 22, 2020
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