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जीते लकड़ी मरते लकड़ी (Jeete Lakdi Marte Lakdi)

Ramapir Bhajan (रामापीर भजन हिंदी/राजस्थानी में)

Jeete Lakdi Marte Lakdi

जीते लकड़ी मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का

दुनिया वालों तुम्हे सुनाये, ये बासा हैं लकड़ी का |
जब जन्म लिया था तुमने, पलग बिछा था लकड़ी का ||
माता तुम्हारी लोरी गाती, वो पलना था लकड़ी का ||
फिर चलना सीखा पकड़-पकड़ कर, हाथ में घोड़ा लकड़ी का
गया खेलन हाथ में लेकर, गिल्ली डंडा लकड़ी का ||
फिर पढने गया स्कुल तो, पकड़ी कलम लकड़ी का
और मास्टर ने भी डर दिखलाया, वो डंडा था लकड़ी का ||
फिर गया शादी करने को जिसमे वो रेल का डिब्बा था लकड़ी का

सास ससुर ने भी बिठलाया, वो बावजट था लकड़ी का ||
लग्न किया जब चिंता लगी, लूण तेल और लकड़ककी का
और जब बुड्ढा हुआ तब लिया हाथ में, ये ही सहारा लकड़ी का ||
उड़ गया पंछी डल गईं काया, चिता बनाया लकड़ी का
जिस काय को पल में जलाई, वो ढेर बना था लकड़ी का ||
तो मरते तक मिटाया नही, मुर्ख झगड़ा झगड़ो लकड़ी का
नाम प्रभु का ह्रदय बसा लो मिट जाय झगड़ा लकड़ी का ||

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